Shodashi for Dummies
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The Mahavidyas really are a profound expression in the divine feminine, each representing a cosmic purpose and also a route to spiritual enlightenment.
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।
Due to the fact among his adversaries had been Shiva himself, the Kama received massive Shakti. Missing discrimination, the man commenced producing tribulations in the many three worlds. With Kama possessing a great deal electrical power, and While using the Devas struggling with defeat, they approached Tripura Sundari for aid. Taking up all her weapons, she billed into battle and vanquished him, So preserving the realm from the Gods.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
Goddess also has the identify of Adi Mahavidya, which means the entire Variation of actuality. In Vedic mantras, she's referred click here to as the Goddess who sparkles with The gorgeous and pure rays with the sun.
संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।